प्रयागराज : ‘जिस जगह बम गिर रहे थे, वह कुम शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर था। हमारी सांसें अटकी हुई थीं। हमें उम्मीद नहीं थी कि हम जिंदा अपने वतन लौट पाएंगे। हमारे पास जरूरी दवाएं और सामान खत्म हो गए थे। हमारे जत्थे में कई गंभीर रूप से बीमार बुजुर्ग भी थे।’ यह कहना है प्रयागराज के दरियाबाद मोहल्ले के वजाहद हुसैन का, जो 90 तीर्थयात्रियों के जत्थे के साथ तीर्थयात्रा के लिए प्रयागराज से ईरान गए थे।

इजराइल-इराक युद्ध के बीच फंसे भारतीयों के लिए केंद्र सरकार ऑपरेशन सिंधु चला रही है। इसके तहत 85 यात्रियों का जत्था प्रयागराज पहुंचा। इन सभी तीर्थयात्रियों को 13 जून को लौटना था, लेकिन युद्ध शुरू होने और उड़ानें रद्द होने के कारण वे वहीं फंस गए थे। भारत सरकार की पहल से सभी को सुरक्षित स्वदेश वापस लाया गया है। ये लोग तेहरान से करीब 100 किलोमीटर दूर कुम शहर में थे, जहां होटल की खिड़की से ड्रोन हमला दिखाई दे रहा था। उस वक्त सभी की सांसें थम सी गई थीं। अब घर लौटने पर उन्हें राहत मिली है और सभी ने भारत सरकार और पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया है।

इजराइल-इराक युद्ध के बीच फंसे भारतीयों के लिए केंद्र सरकार ऑपरेशन सिंधु चला रही है। इसके तहत 85 यात्रियों का जत्था प्रयागराज पहुंचा। इन सभी तीर्थयात्रियों को 13 जून को लौटना था, लेकिन युद्ध शुरू होने और उड़ानें रद्द होने के कारण वे वहीं फंस गए थे। भारत सरकार की पहल से सभी को सुरक्षित स्वदेश वापस लाया गया है। ये लोग तेहरान से करीब 100 किलोमीटर दूर कुम शहर में थे, जहां होटल की खिड़की से ड्रोन हमला दिखाई दे रहा था। उस वक्त सभी की सांसें थम सी गई थीं। अब घर लौटने पर उन्हें राहत मिली है और सभी ने भारत सरकार और पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया है।
आपको बता दें कि प्रयागराज के दरियाबाद निवासी वजहाद हुसैन अपने परिवार के सभी 17 सदस्यों के साथ सोमवार को सकुशल प्रयागराज लौटे तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सोमवार को 90 यात्रियों का जत्था प्रयागराज पहुंचा। वजहाद ने बताया कि रविवार शाम साढ़े छह बजे ईरान के मशहद एयरपोर्ट से 290 भारतीयों को लेकर महान एयरलाइंस का विमान उड़ा और रात करीब 11 बजे दिल्ली पहुंचा। इसमें प्रयागराज के 90 यात्रियों का जत्था भी शामिल था, जो तीर्थयात्रा के लिए इराक और ईरान गए थे। यह जत्था 19 मई को इराक के लिए रवाना हुआ था।
पहले सभी लोग कर्बला गए और उसके बाद ईरान पहुंचे। वापसी 13 जून को थी, लेकिन जैसे ही हम होटल से निकलकर बस से एयरपोर्ट जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी पता चला कि इजराइल ने हमला कर दिया है। ईरान के सभी एयरबेस बंद कर दिए गए हैं। इसके बाद सभी को क़ोम शहर भेज दिया गया। समीर नकवी ने बताया कि हमारी मां और दादी समेत परिवार के कुल 22 सदस्य तीर्थयात्रा के लिए ईरान गए थे। वहां के हालात और अपनों के दिलों में डर से हम सभी काफी परेशान थे। हम यहां से जो कुछ भी कर सकते थे, कर रहे थे, लेकिन चिंता के कारण हमारी नींद उड़ी हुई थी।
अब सभी सुरक्षित अपने वतन लौट आए हैं। उन्होंने मीडिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद नहीं थी कि भारत सरकार हमारे परिजनों की इतनी जल्दी वतन वापसी में मदद करेगी। भारत सरकार ने जिस तरह से तीर्थयात्रियों को सुरक्षित और इतनी जल्दी निकाला, वह काबिले तारीफ है। इससे हमें देश के नेतृत्व पर गर्व हुआ है। हम भारत सरकार, विदेश मंत्री और दूतावास का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हैं। दूतावास के कर्मचारी ईरान में फंसे तीर्थयात्रियों और छात्रों की वतन वापसी के लिए दिन-रात जुटे हैं।
वजहाद हुसैन और उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि भारत सरकार ने उन्हें मशहद के एक पांच सितारा होटल में ठहराया। वहां बढ़िया खाने-पीने की व्यवस्था थी। दिल्ली लौटने पर एयरपोर्ट के सामने एसी बसें खड़ी थीं और यात्रियों को घर पहुंचाने की निशुल्क व्यवस्था की गई। हालांकि थकान इतनी थी कि बस से लौटने की हिम्मत नहीं हुई, इसलिए ट्रेन से प्रयागराज आ गए। कुम से 16 घंटे का सफर तय कर मशहद पहुंचे वजहात ने बताया कि भारत सरकार की पहल पर चार दिन पहले कुम से सभी को वापस मशहद शहर भेज दिया गया।
बस से 1100 किलोमीटर लंबी 16 घंटे की यात्रा के बाद तीर्थयात्रियों का जत्था मशहद पहुंचा। यहां हमें पांच सितारा होटलों में ठहराया गया। हमें लजीज खाना परोसा गया। दूतावास के कर्मचारियों ने हमारा पूरा ख्याल रखा। उन्होंने कहा कि आप सभी सुरक्षित हैं, हम आपको जल्द ही आपके देश वापस पहुंचा देंगे। चिंता की कोई बात नहीं है। वजाहद के साथ उनके पिता इकरार हुसैन, मां मोहसिना बेगम, बहन तनजीम फातिमा, बहन की दो बेटियां अलीमा और अलीफा, बड़े भाई सैयद जगम अब्बास, मामा शखफत अली समेत परिवार के सभी 17 सदस्य ईरान गए थे।
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